Teen maut || rahul raj renu ||तीन मौत || राहुल राज रेणु || part-1

|| अंतिम
गांधीवादी -जय प्रकाश नारायण ||
पेज -4
--- भारत यायावर
जयप्रकाश
का यह स्वतंत्रता-प्रेम जो उनकी वासना बन चुकी थी, जीवन भर उन्हें सक्रिय
और गतिशील बनाए रही। इसी ने उन्हें कभी चैन से बैठने नहीं दिया। आराम और ठाट से
जीने नहीं दिया। 1966 ई. में जब बिहार में भीषण अकाल पड़ा था, वे गाँव-गाँव का दौरा
कर रहे थे और भूख से जूझते किसानों को हिम्मत बँधा रहे थे, प्रशासन का ध्यान उन
किसानों की ओर आकृष्ट करवा रहे थे। ठीक उसी तरह जैसे गांधी 1947 ई. में पूर्वी बंगाल के
दंगा-पीड़ित गाँवों का पैदल दौरा कर प्रेम और भाईचारे का अलख जगा रहे थे। जयप्रकाश
भी गांधी की तरह भारत की गरीब जनता के हृदय से एकाकार थे। यही कारण है कि 1974 ई. में उनके नेतृत्व
में एक अपार जनजागरण आया था।
आज
भी देश में वैसा ही भ्रष्टाचार का बोलबाला है, सत्ता का निरंकुश रवैया भले ही
वैसा न हो, किंतु
सत्ता का जनपक्षधर स्वरूप अब तक नहीं बन पाया है, हजारों समस्याओं से देश
घिरा हुआ है, किंतु
देश में प्रतिवाद का वैसा जन-सैलाब क्या पुनः मुखरित हो सकता है?
जयप्रकाश
जनता को जागृत करने वाले भारत के अंतिम गांधीवादी व्यक्तित्व थे, जिनके चिंतन में भले ही
असंगतियाँ हों, जिनके
जीवन के कई विरोधी आयाम हों - पर जनतंत्र की रक्षा के लिए लड़ने वाला उनके जैसे
प्रखर योद्धा को भारत की जनता आज भी तलाश रही है। जयप्रकाश ने कहा था - 'रोटी और आजादी - इन
दोनों को जोड़कर ही इस देश को आगे बढ़ाया जा सकता है।' लोकतंत्र की जड़े भी तभी
मजबूत होंगी। जयप्रकाश के सपनों का भारत भी तभी निर्मित हो सकेगा। उन्होंने लिखा
है - 'मेरे
सपनों का भारत एक ऐसा समुदाय है, जिसमें हर एक व्यक्ति, हर एक साधन निर्बल की
सेवा के लिए समर्पित है - अंत्योदय तथा निर्बल और असहाय की बेहतरी को समर्पित
समुदाय। ...मेरे मन में एक स्वतंत्र, प्रगतिशील और गांधीवादी भारत की
तस्वीर है।'
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