Teen maut || rahul raj renu ||तीन मौत || राहुल राज रेणु || part-1

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                                                                 -ःतीन मौतः-                                                                                                        -राहुल राज रेणु    रात का खाना खाने के बाद थोड़ी बहुत खाना बच जाती थी। उस खाने को सुलोचना बाहर बरामदा पर रख जाती थी।    “सुलोचना कटिहार के सबसे धनी लाला का दुलारी बेटी थी। सुलोचना के पिता जी इज्जतदार व्यक्ति थें।उनके घर में तीन ही आदमी का बसेरा रहता.....माँ-पिता जी और सुलोचना।सुलोचना का एक बड़ा भाई बैंगलोर में ईंजीनियर  की पढ़ाई कर रहा है।सुलोचना बी0एस0सी की छात्रा है...

मुंगेरी की माँ -2|| Mungeri Ki Maa -2 || Rahul Raj Renu ||राहुल राज रेणु ||

                               

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रात हो गई .पूरा गांव के लोग विध्यालय की छत पर थे | लेकिन महाजन कों फिर भी , अपने डूब रहे घर की चिंता थी ,थोड़ी बहुत सामान अपने फूस घर के छप्पर पर रखवा दिये थे | पानी बढ़ कर छाती भर हो गई थी |सुनने में आया की कुछ बाहरी लोग नाँव पर आते है  |सामान लुट लेते है ,औरतों के गहने छीन लेते है ,सबसे अधिक वो बहते लाशों कों
पकड़ कर उनके गहने निकलते है | छत पर सुगिया माय की बात सबको डरा दिया |
   महाजन के घर अगले साल  आग लगी थी , सभी लोग  बुझाने के लिए पूरा कोशिश किया लेकिन महाजन के पिता ने किसी कों अपने आँगन नही जाने दिया |बाद में पता  लोगों से चला की..वे पैसा,जेवर-जेवरात ,बीच घर में  मिट्टी  के निचे दबा कर रखा था |
    चारों तरफ लाश बह रही थी ,छत के लोगों कों सबसे ज्यादा चिंता थी ..बाढ़ की पानी  ख़त्म होने के बाद क्या खायेंगे |सबने अपने गाय-गौरु की नाथ (रस्सी) खोल कर जिन्दा-बहा दिये..जहाँ ऊँचा मिले ,कम से कम जानवरों जान तो बच जाएगी |
  मुंगेरी के पिता महाजन के घर में सब दिन काम करता था ,इसलिए दवाब बना कर महाजन ने  उनको अपने घर की रखवाली के लिए भेज दिया | जाना नही चाहता था |     रात में  अकेला महाजन के  छप्पर पर बैठ कर सामान की रखवाली करने लगा |पानी
छप्पर के नजदिक तक पहुँच गई | इन्सान –जानवर के शव उनके पांव छु कर निकलती थी | कृष्ण पक्ष की काली रात डर भी लगती थी कही कोई विषेली जीव-जंतु काट ना लें |
   धीरे –धीरे पूरी घर बने लगी ,उन्हें इनकी बिलकुल  अभास नही हुई |जब पानी सांय-सांय की आवाज उनके कान में  जोर  से आने लगी |उन्होंने इधर-उधर ताकने (देखने ) की कोशिश किया तो उन्हें समझ में आ गया वे अब नही बचने वाले | पानी तेज धारा कमला नदी ले कर चले आई है ...आँख मूंद कर गंगा मैय्या कों याद  किया ..हे गंगा मैय्या ! इस  अंतिम वक्त पर मुझे  पत्नी और बच्ची कों देखने की इच्छा थी किन्तु मैं जनता हूँ यह असंभव है लेकिन मेरी आपसे विनती हैं उन्हें  कोई कष्ट नही देना ,हर चीज की पूर्ति करना |            उसी रात में मुंगेरी की माँ कों उनके दिल्ली जाने की सपना आई और दोनों गला पकड़ कर खूब रो रहे है |   अगस्त 1987 की यह भयावह बाढ़ सिमांचल क्षेत्र में  (कटिहार ,पूर्णिया,अररिया,किशनगंज जिले में ) दोबारा नहीं आये |कईयों कों बेघर और बहुतों कों अनाथ कर दिया |         मुंगेरी माँ की यह बात सुनते ही अनिकेत की आंखे भर गई |
    बेचारी  महजान के घर काम करने लगी इसके बदले महाजन पेट भर खाना ,और  पहनने के लिए पुरानी कपड़े मिलते |मुंगेरी 13 साल की हो गई |महाजन आश्वाशन देकर रखे हैं की मुंगेरी मेरी बेटी जैसी है इसकी शादी मैं करवाऊंगा |माँ कों पता था अगर महाजन के स्वभाव पर उम्मीद नही की जा सकती है, वे मुंगेरी की शादी नही करवाएंगे | मुंगेरी की माँ ने समय निकल कर मेरे कमरे की मालकिन के यहाँ भी काम करने लगी और बोली |मालकिन मुझे अभी पैसा नही चाहिए |जब मुंगेरी की शादी होगी तब इक्कठा  दीजियेगा | समय बीतता चला गया | मुंगेरी शादी की लायक हो गई | माँ ने बहुत बार महाजन कों बोली की एक अच्छा लड़का देख कर मुंगेरी की शादी करवानी है | लेकिन महाजन कों कोई फर्क नही पड़ता था |      पंचायत समिति का चुनाव है | गांव के कई दिग्गजों ने पर्चा भरा हुआ है |महाजन का चुनाव चिन्ह  नथुनी छाप मिला हुआ है |सभी  प्रत्यासी  की  चुनाव प्रचार जोर-सोर से  चल रही थी | महगू मंडल का लोगो में दबदवाब ज्यादा ज्यादा था, क्योंकि उन्हें चुनाव चिन्ह सड़क छाप मिला था और लोगो में बोल दिया है |सड़क छाप से अगर चुनाव जीतते हैं तो सबसे पहले सड़क बनवायेंगे |


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