(दरअसल राजीव और सुलोचना दसवीं कक्षा में साथ-साथ पढ़े थें।राजीव अपने समय में क्लास में सबसे तेज स्टुडेन्ट था। जानने की बात यह है कि दसवीं में राजीव सुलोचना को बहुत प्यार करता था और वह अपनी प्यार का इजहार भी सुलोचना के सामने किया था।
पार्ट -1 link
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लेकिन सुलोचना ने राजीव को यह कहके दिल तोड़ दी थी ,कि तुम्हारे पास कोई भी प्रसानालिटी नही है, इसलिए तुम मेरे लायक कभी हो ही नही सकते हो।
फिर भी राजीव सुलोचना के प्यार में पागल सा हो गया था। सुलोचना को ये सारी बात मालूम रहती थी।फिर भी उनका मन राजीव की और आकृष्ट नही हो रही थी।
राजीव उस समय से क्लास में रोज नए-नए स्टाईल में नजर आ रहा था।दोस्तों के पीछे भी काॅफी पैंसा उड़ता था।क्लास में वह अब दुर-दुर की बड़ी बातें करता रहता था। ऐसा प्रतीत हो रहा था,जैसे वह बहुत ही अमीर बाप का बेटा हो । फिर भी सुलोचना राजीव के गिरफ्त में नही आईं।
कुछ दिन इसी तरह बितता गया।इमत्हान का समय आ गया।सभी इमत्हान भी भी दे चुके थें।
टीचर ने एक लड़के को पुछ ही दिया- अरे रामेश्वर !राजीव आजकल नजर नहीं आ रहा हैं...........।
सर...!वह फेल हो गया है,जिस कारण उसके पिता जी ने उन्हैं घर से निकाल दिये थे ,पता नही सर...!अभि बेचारा कहाँ होगा।)
सुलोचना ,राजीव के बारे में सोचते-सोचते ही उसकी आँखों से आँसू गिरने लगें और कहने लगी ,मुझे माफ कर दों,राजीव अब तुम जो कहोगे ,मैं वह सारी बात मानने को तैयार हुँ।आखिर मैं भी आपके जाने के बाद मैं आपको याद कर बहुत रायी हुँ,आज मैं आपको देख इतना खुष हुँ कि किसी को बता नही सकती।
राजीव अपने झुठ को छुपा नहीं सका ।आखिरकार उन्हैं बोलना पड़ा........चुप हो जाओं सुलोचना.....अब कुछ नही होने वाला हैं। मैं काॅफी बद से बत्तर भीखारी की जीन्दगी जी रहा हुँ,तुम महलो की रहने वाली और मैं रोड का । तेरे मेरे जीन्दगी का कोई मेल नही हैं। बस किसी बहाने तुम्हैं देख लेता हुँ.....दिल को सुकुन मिल जाती हैं।
नही.....राजीव नहीं!तुम्हें मेरे पास रहना ही पड़ेगा....तुम्हें याद कर मैंने बहुत दिन अकेले जीया....अब मुझसे ये सब बरदास्त नही हो सकता हैं।
तुम हीं बताओं...सुलोचना....! मैं तुम्हें कैसे अपने पास रखुँ।
एक रास्ता हैं.....या तो कोई काम पकड़ लो....नही तो मेरे यहाँ घर के काम के लिए एक आदमी की जरूरत हैं।
तुम्ही बताओं मैं क्या करूँ.......।
यहीं की....कल से तुम मेरे यहाँ नौकर के वेश में रहा करों। जिनसे मैं तुम्हैं हमेशा देख पाउगीँ।बाद में हम दोनों माँ-पिता जी को मनाकर शादी कर लेगें।
राजीव रसोई घर में खाना बना रहा था।तभी सुलोचना आईं और राजीव से कहने लगी ,जाओं तुम स्नान कर लो,मैं इधर सम्भाल लेती हुँ।
अगर तुम्हारी माँ जान जाएगीं की मेरा हर काम तुम कर लेती हो,तो वो बहुत गुस्साऐंगीं।
उन लोगों को कैसे सम्भालना हैं....मैं जानती हुँ।चलो जा तुम नहाने ..खाना बन गया हैं।
इस तरह से सुलोचना हमेशा राजीव के कामों को हल्का कर देती और काम जल्दी खत्म कर दोनो बातें करने बैठ जाते ।इससे उन दोनोेें का मिलन गहरा हो जाने लगा।
राजीव अपनी अच्छाईयों से सुलोचना के माता-पिता का दिल इस तरह जीत लिया कि जब भी कोई छुट्टी लेना चाहता ।उसे छुट्टी तुरंत मिल जाती ।कई बार अकेले सुलोचना-राजीव को घर पर छोड़ दोनों मेहमानी चले जाते ।
सुलोचना और राजीव अब अपने आप को रोक भी नही पा रहे थें। कभी-कभी दोनो बाते करते-करते इस तरह से एक दुसरे के बाहों में सो जाते मानों दोनों प्रेम के बन्धन में काॅफी मजबुती से बंध चूके हो।
साल बितता गया ,सुलोचना स्नातक पास हो चुकी थी।उनकी षाॅदी की भी बात चलने लगी ।जहाँ-तहाँ से रिष्ते आने लगी।
सुलोचना जब भी राजीव के पास आती तो उदास हो करके बैठ जाती। सुलोचना राजीव से कहती.......राजीव चलोें हम दोनों कही दुर भाग चलते हैं। (राजीव इन सवालों का जवाब नही दे पाता क्योंकि राजीव के पास उतना पैसा नही था कि वो दोनो शादी रचा कर कहीं दुर में रहे । फिर भी राजीव उनसे कहता..़ मैं कुछ इन्तजाम कर रहा हुँ, तुम चिन्ता मत करों।)
इस तरह का आना-कानी वाली बात उन दोनों के बीच रोज हो रहा था।
एक दिन राजीव ने अपने दोस्त रामेश्वर के पास मदद के लिए गया,उसने राजीव को हर तरह से मदद करने का वायदा किया।
जब राजीव सुलोचना के घर लौटा तो पता चला कि सुलोचना का भाई आया हैं। सुलोचना अपने भाई के साथ किसी रिश्तेदार के यहाँ गई हुई हैं।वहीं पर कुछ मेहमान रिश्ते के लिए बात करने आएगें।
सुलोचना जब घर लौटी।राजीव उन्हैं देख कर बहुत खुश हुआ लेकिन उनकी शादी तय हो गई।इन करण राजीव बहुत दुःखी हो रहा था।
सुलोचना अब भी राजीव के साथ शादी करने के लिए तैयार थी। सुलोचना के इस बात से राजीव के मन को सुकुन मिला।
राजीव ने अपने दोस्त रामेश्वर के बारे में सारी बात बताया और तीनों ने मिलकर एक प्लान बनाया कि दोनों शादी के शाम को ही दोनो घर छोड़कर निकल जायेंगें।
चारों तरफ जोर-जोर से पटाके फुट रहे थे।बैन्ड बाजे वाले जोर-जोर से अपना ताल बना रहे थे।सभी शादी के माहौल में व्यस्त थे।
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