ज्योति के 12वीं पास होने के बाद से ही उनके लिए रिस्ता बडे़-बडे़ घरों से आने लगी। ज्योति की शादी बहुत बडे़ घर मे तय भी हो गईं।लेकिन इस बात को मनोहर नही अनजान था।ज्योति ,मनोहर को हमेशा गरीब और नीच समझती
थी।समझेगी क्यों नही क्योकि मनोहर ज्योति कों अपने जीवन की ऊँची डाली पर जो बैठा दिया है |
ज्योति की माँ...मनोहर को अब दूर-दूराने लगी।लेकिन मनोहर के स्वभाव मे कोई बदलाव नही था,बेचारे को वो दोनों जो छोटी -बड़ी काम कहती ,वो कर कर देता ।आखिर मनोहर तीन साल पहले ज्योति का पड़ोसी भी रह चूका है |
भावना चाची सोचती ....मनोहर ज्योति की शादी मे अर्चंन डाल सकता है। क्योकि उस पागल कों अपनी बैज्ज्ती का भी पता नही चलता था |इसलिए उनको हटाने की बहुत कोशिश करने लगी,दोनो माँ-बेटी। लड़के वाले का भी दवाब है की शादी होटल या मंदिर से नही होगी |बात सही ...भावना चाची की इज्जत का सवाल भी है |
परीक्षा मे पास होने के कारण ज्योति आजकल बहुत खुश रहती थी ।ज्योति आज हाथ मे कुछ लेते हुए मनोहर के घर को निहारते हुए नजर आ रही थी ।तभी मनोहर की नजर ज्योति पर पड गईं।मनोहर अपने घर के छत से बाॅस की सीडीयों के सहारे निचे उतरते हुए आ रहा था।और मन ही मन सोच रहा था कि आज सुर्यं पश्चिम से उगी है शायद !,इसलिए आज पहली बार ज्योति मेरे साथ ख़ुशी बाॅंटने आ रही वो भी ठन्डे की बोतल लेकर।तब तक ज्योति ने ठन्डे के एक बोतल में कुछ मिला चुकी थी।
अब वे दोनो नजदिक थे।
कैसे हो मनोहर .......आज मेरे घर आया नही ?
माँ..की तबीयत खराब है,उन्ही के पास बैठा था।
अच्छा वो सब छोड़ो.....मैं इस बार अच्छे अंको से पास की हुँ।
सच.........!
हाॅ....मनोेहर...! और मुझे मालूम हुई तम्हारे घर में कोई नहीं है ,इस लिए ....खुशी में आज हमदोनो मिलकर पार्टी मनाऐगें।
बातों ही बातों में समय गुजरता चला गया ,शर्मीला मनोहर ...!ज्योति की ओर देखने की हिम्मत भी नहीं करता है | ज्योति अचानक जल्दी में घर के लिए निकलने लगी |तब तक दोनों का ठंडा भी ख़त्म हो गया था , थोड़ी देर बाद ही मनोहर का सर चकराने लगा।ज्योति समझ गई...अब ज्यदा देर तक रुकना ठीक नहीं है ।
मनोहर को उसी की हालत में छोड़ कर वो अपने घर चली आई।
........मनोहर की मृत्यु हो गई |
कुछ दिनों बाद ही ज्योति की शादी हुई ,ज्योति और उनकी माँ काफी खुश थी | शादी में किसी तरह की अर्चन नही हुई |...ज्योति ..अब ज्योति कोयरिला बन गई | किन्तु उनका पति कभी भी मनोहर के तरह ज्योति कों अपने जीवन तवज्जो नहीं दिया |...
...अब ज्योति कों मनोहर की बहुत याद आ रही है |शायद अपने माँ के कहने पर इतनी बड़ी धोखा मनोहर का ना देती | भीतर ही भीतर अपने कों बहुत कोशती है .....................
Comments
Post a Comment