|| अधूरा ||
-राहुल राज रेणु
उनकी माँ बिलख- बिलख कर रो रही थी,पिता घर के एक कोने मे बैठे-बैठे आँसूओं की धारा बहा रहे थे।बडी बहन मानो जैसे की वह पागल हो गईं और छोटी ...माँ के आँचल मे आँसू पोछती हुईं पुछा करती...माँ....अ...!मनोहर भैईंया को क्या हुआ....,माँ...वो उठ क्यो न रहे......माँ.....तुम उठाती क्यों नही।माँ भैईंया बोले है...आज हमें बाजार लेकर जाऐगें और टाॅफी खरीदकर देगें।
उस वक्त...अमीत जी के यहाॅ का इस तरह का दृष्य किसी को देखा नही जा रहा था।क्योंकि उनका एक ही बेटा मनोहर था, जिन पर उन सबों की सारी आशाऐँ टिकी हुईं थी। प्रेम 12वीं कक्षा का परीक्षा नही देने गया था।क्योंकि वह भावना चाची की बेटी ज्योति को परीक्षा दिलवाने चला गया,चूँकि प्रेम समझता था कि भावना चाची......ज्योति से मनोहर की शादी करवाऐंगी।
मनोहर ज्योति को इतना चाहता था कि ज्योति की चाय पिया हुआ कप संभाल कर रखता,
उनकी किताबों के रद्दी जिल्द को निहारता रहता था।अगर ग्लाश की आधी पानी पीकर छोड़ देती तो मनोहर वह पी लेता था।
भावना चाची और ज्योति को मनोहर ना-पसन्द था।फिर भी उनसे अपना काम निकालने के लिए उनसे नजदीकी बना कर रखती थी।
मनोहर अपनी पढाईं के साथ सब कुछ भूल
कर ,रात -दिन चाहत पर मरता फिरता था।लेकिन एक दिन इसका अनजाम बूरा हुआ।ज्योति जानती थी......मनोहर उनका जुठा पीता है।
परीक्षा देने के कुछ महीनों बाद ज्योति की 12वीं कक्षा की रिजल्ट आ गया।
पार्ट -2 link -
/2012/03/Adhura-2-rahul-raj-renu.html
Chepter:-!2! Kab aye ga...
ReplyDeletechapter 2 v uplod kar di gai hai..link https://rahulrajrenu.blogspot.com/2012/03/Adhura-2-rahul-raj-renu.html
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