Teen maut || rahul raj renu ||तीन मौत || राहुल राज रेणु || part-1

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                                                                 -ःतीन मौतः-                                                                                                        -राहुल राज रेणु    रात का खाना खाने के बाद थोड़ी बहुत खाना बच जाती थी। उस खाने को सुलोचना बाहर बरामदा पर रख जाती थी।    “सुलोचना कटिहार के सबसे धनी लाला का दुलारी बेटी थी। सुलोचना के पिता जी इज्जतदार व्यक्ति थें।उनके घर में तीन ही आदमी का बसेरा रहता.....माँ-पिता जी और सुलोचना।सुलोचना का एक बड़ा भाई बैंगलोर में ईंजीनियर  की पढ़ाई कर रहा है।सुलोचना बी0एस0सी की छात्रा हैं।”   सोमवार की रात को सुलोचना खाना खाने के बाद बाहर बरामदे पर खाना कुत्तों को खाने रख गईं।सोने के कुछ देर बाद अचानक  उनको याद आई कि अँगुठी भी वह बाहर ही छोड़ गई हैं।उलटे पाँव वह वापस बाहर आने लगी ,उसने देखा कि एक आदमी काॅफी बुरी तरह से फटी-चिटी गंदी कपड़ा पहना हुआ ।सर की बड़ी-बड़ी भद्दी बाल,दाड़ी भी बड़ी पुरा गंदा दिख रहा था।सुलोचना काॅफी डर गई...वह व्यक्ति भी ठंड से सिकुड़ रहा था। ठंड से उनके हाथों से वह जुठा खाना खाया नही जा रहा था।सुलोचना भिखारी स

अधूरा -1 || Adhura -1 || rahul raj renu || राहुल राज रेणु

                                          ||  अधूरा  ||

                                                                                                         -राहुल राज रेणु
उनकी माँ बिलख- बिलख कर रो रही थी,पिता घर के एक कोने मे बैठे-बैठे आँसूओं  की धारा बहा रहे थे।बडी बहन मानो जैसे  की वह पागल हो गईं और छोटी ...माँ के आँचल मे आँसू पोछती हुईं पुछा करती...माँ....अ...!मनोहर भैईंया को क्या हुआ....,माँ...वो उठ क्यो न रहे......माँ.....तुम उठाती क्यों नही।माँ भैईंया बोले है...आज हमें बाजार लेकर जाऐगें और टाॅफी खरीदकर देगें।
             उस वक्त...अमीत जी के यहाॅ का इस तरह का दृष्य किसी को देखा नही जा रहा था।क्योंकि उनका एक ही बेटा मनोहर  था, जिन पर उन सबों की सारी आशाऐँ टिकी हुईं थी। प्रेम 12वीं कक्षा का परीक्षा नही देने गया था।क्योंकि वह भावना चाची की बेटी ज्योति को परीक्षा दिलवाने चला गया,चूँकि प्रेम समझता था कि भावना चाची......ज्योति से मनोहर  की शादी  करवाऐंगी।
            मनोहर  ज्योति को इतना चाहता था कि ज्योति की  चाय पिया हुआ कप संभाल कर रखता,
उनकी  किताबों के रद्दी जिल्द को निहारता रहता था।अगर ग्लाश  की आधी  पानी पीकर छोड़ देती तो मनोहर वह पी लेता था।
          भावना चाची और ज्योति को मनोहर ना-पसन्द था।फिर भी उनसे अपना काम निकालने के लिए उनसे नजदीकी बना कर रखती थी।
         मनोहर अपनी पढाईं के साथ सब कुछ भूल
कर ,रात -दिन चाहत पर मरता फिरता था।लेकिन एक दिन इसका अनजाम  बूरा हुआ।ज्योति जानती थी......मनोहर उनका जुठा पीता है।
परीक्षा देने के कुछ महीनों बाद ज्योति की 12वीं कक्षा की रिजल्ट आ गया।



पार्ट -2 link -/2012/03/Adhura-2-rahul-raj-renu.html 

Comments

  1. Replies
    1. chapter 2 v uplod kar di gai hai..link https://rahulrajrenu.blogspot.com/2012/03/Adhura-2-rahul-raj-renu.html

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