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Showing posts from February, 2019

Teen maut || rahul raj renu ||तीन मौत || राहुल राज रेणु || part-1

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                                                                 -ःतीन मौतः-                                                                                                        -राहुल राज रेणु    रात का खाना खाने के बाद थोड़ी बहुत खाना बच जाती थी। उस खाने को सुलोचना बाहर बरामदा पर रख जाती थी।    “सुलोचना कटिहार के सबसे धनी लाला का दुलारी बेटी थी। सुलोचना के पिता जी इज्जतदार व्यक्ति थें।उनके घर में तीन ही आदमी का बसेरा रहता.....माँ-पिता जी और सुलोचना।सुलोचना का एक बड़ा भाई बैंगलोर में ईंजीनियर  की पढ़ाई कर रहा है।सुलोचना बी0एस0सी की छात्रा हैं।”   सोमवार की रात को सुलोचना खाना खाने के बाद बाहर बरामदे पर खाना कुत्तों को खाने रख गईं।सोने के कुछ देर बाद अचानक  उनको याद आई कि अँगुठी भी वह बाहर ही छोड़ गई हैं।उलटे पाँव वह वापस बाहर आने लगी ,उसने देखा कि एक आदमी काॅफी बुरी तरह से फटी-चिटी गंदी कपड़ा पहना हुआ ।सर की बड़ी-बड़ी भद्दी बाल,दाड़ी भी बड़ी पुरा गंदा दिख रहा था।सुलोचना काॅफी डर गई...वह व्यक्ति भी ठंड से सिकुड़ रहा था। ठंड से उनके हाथों से वह जुठा खाना खाया नही जा रहा था।सुलोचना भिखारी स

उलझन-3 || Uljhan ||Part -3 ||rahul raj renu|| राहुल राज रेणु

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Part -1 link   https://rahulrajrenu.blogspot.com/2019/01/uljhan-rahul-raj-renu.html        part-2 link  https://rahulrajrenu.blogspot.com/2019/02/uljhan-part-2-rahul-raj-renu.html मैं उनके घर पर बहुत कम समय के लिए रुका |बहुत कम समय में उनके घर की बहुत सारी बाते मालुम हो गई ,कुछ उनके पिता ने भी बताया | परिवार अच्छा है ..,किन्तु अब पहले जैसी अमीरी रही नही | राजीव की तरह सादा बोल रखने वाले उनके पिता भी है ,और माँ के संस्कार कों ही राजीव ने अपने जीवन में घोला है |......राजीव अच्छा लड़का है |        दोनों पति-पत्नी की लम्बी बातों और राजीव की सादगी कों देख कर अपर्णा की छोटी बहन अनु कों राजीव बहुत अच्छा लगा | गुप्ता जी ने अपने सगे-सबंधियों से भी इस विषय में बात कियें |    राजीव भले ही कम पैसा वाला है किन्तु उनकी मेहनत और सिखने की चाहत उनको काफी आगे लेकर जा रही है |अपने घर की हालात कों भी ठीक कर दिया है | मेडिकल में काम करने के अलावा तीन-चार नर्शिंग होम में रोगियों कों सुई देने जाता है | अपने अनुभव से काफी गंभीर रोगियों का इलाज भी कर देता है |         गुप्ता जी ने अनु के द्वरा अ

उलझन -2 || Uljhan || Part-2 ||rahul raj renu|| राहुल राज रेणु

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आपको लगा होगा राजीव बहुत कम पैसा में काम कर रहा है | लेकिन ऐसा कुछ नही है ! काम पर जाने से पहले राजीव ने अपने पिता से बात किया , पिता ने अच्छा   सिख दिया ...बोले है ! मेडिकल में रहने से दौ दवाई का नाम याद हो जाएगी, सुई देने भी सिख जाओगे | भविष्य में अगर मेडिकल वाला काम छुट भी जाए...लेकिन हाथ का कला सब दिन रहेगा | पांच बरस पहले बिल्टा का मुंह से लेर (लार )गिरता था ,कपडा पहनने का होश नही था |आज एक सुई किसी देता है तो   60 रुपया   ले लेता है |              मिला –जुला कर मेडिकल लाइन सही लगा | आदमी पांच हजार महिना देकर भी इतना दवाई-दारू के विषय में नही जान पायेगा |यहाँ तो गुप्ता जी उल्टा ही पैसा मुझे ही देंगे | पहला दिन है काम का....! कोई भारी काम नही लगा सिर्फ दवाई गौदाम , सोनू (पुराना स्टाफ ) के साथ गया , और बाकी समय मेडिकल में बैठ कर रहना था |फिर भी   राजीव ने कोशिश किया एक –दो लोगो की पर्ची पड़ कर दवाई देने का.., लेकिन नही हो पाया ...क्योकि पर्ची पढ नही पाया ,डाक्टरी भाषा में लिखा था |       समय के साथ धीरे-धीरे राजीव कों बहुत सारी दवाई का ज्ञान हो गया |सुई देने भी सिख गया |