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Showing posts from December, 2018

Teen maut || rahul raj renu ||तीन मौत || राहुल राज रेणु || part-1

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                                                                 -ःतीन मौतः-                                                                                                        -राहुल राज रेणु    रात का खाना खाने के बाद थोड़ी बहुत खाना बच जाती थी। उस खाने को सुलोचना बाहर बरामदा पर रख जाती थी।    “सुलोचना कटिहार के सबसे धनी लाला का दुलारी बेटी थी। सुलोचना के पिता जी इज्जतदार व्यक्ति थें।उनके घर में तीन ही आदमी का बसेरा रहता.....माँ-पिता जी और सुलोचना।सुलोचना का एक बड़ा भाई बैंगलोर में ईंजीनियर  की पढ़ाई कर रहा है।सुलोचना बी0एस0सी की छात्रा हैं।”   सोमवार की रात को सुलोचना खाना खाने के बाद बाहर बरामदे पर खाना कुत्तों को खाने रख गईं।सोने के कुछ देर बाद अचानक  उनको याद आई कि अँगुठी भी वह बाहर ही छोड़ गई हैं।उलटे पाँव वह वापस बाहर आने लगी ,उसने देखा कि एक आदमी काॅफी बुरी तरह से फटी-चिटी गंदी कपड़ा पहना हुआ ।सर की बड़ी-बड़ी भद्दी बाल,दाड़ी भी बड़ी पुरा गंदा दिख रहा था।सुलोचना काॅफी डर गई...वह व्यक्ति भी ठंड से सिकुड़ रहा था। ठंड से उनके हाथों से वह जुठा खाना खाया नही जा रहा था।सुलोचना भिखारी स

D S Collage Katihar |दर्शन साह महाविद्यालय,कटिहार

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                                                       दर्शन  साह महाविद्यालय,कटिहार                                                                    (डी0एस0काॅलेज,कटिहार)                                                                                                               -राहुल राज रेणु        दर्शन   साह महाविद्यालय अपने स्थापना काल से ही समस्त बिहार में चर्चित रहा हैं। यह विद्यालय कोशी  ,महानन्दा और दक्षिण में गंगा पर अवस्थित अति सुशोभित हैं।           कटिहार का यह “मैला आँचल“ भुदानी पुरोधा स्व0 बैधनाथ चैधरी ,उपन्यासकार स्व0 अनुपलाल मण्डल ,अमर कथा षिल्पी स्व0 फणीश्वर नाथ “रेणु“ और अमर शहीद  छात्र ध्रुव कुण्डू सरीखे सपूतों को जन्म देने के बाद “दर्शन   साह महाविद्यालय“ ने एक अलग ही पहचान बनाई हैं।          विद्यावाणी का विलास तथा शिक्षण संस्थान सारस्वत-अनुष्ठान के केन्द्र,जहाँ से ज्ञान की  किरणें विकीर्ण होकर मानवता के उज्जवल पक्ष को उद्भाषित  करती हैं एवं मानव जीवन को सार्थकता प्रदान करती है। इस ऋषि-परम्परा को आगे  बढ़ाते हुए पुण्य संकल्प के साथ 1 अगस्त 1953 ई0 को

फणीश्वर नाथ रेणु की अनसुनी बातें | Phanishwar Nath Renu Ki Ansuni Baten

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                                  राहुल राज रेणु                        फणीश्वरनाथ रेणु                                                                                                              हिंदी कथा-साहित्य शिल्पकार के रूप में महत्वपूर्णं रचनाओं  के निर्मांता आँचलिक साहित्यकार फणीश्वर  नाथ रेणु जी का जन्म, बिहार के मैंला आँचल की धरती औराही हिंगना गाँव जो अररिया जिले , में 4 मार्च 1921 को हुआ।     बचपन का नाम फनेसरा ,दादी ने उनका नाम ऋणुआॅ रखा ,वो इसलिए उनके जन्म के समय कर्ज लेना पड़ा।बाद में इसी नाम को नागार्जूण साहब ने इनके  नाम  का टाईटल दे दियें, रेणु ।     फणीष्वर नाथ रेणु के पिता जी  शिलानाथ मंडल माता पाणो देवी। रेणु जी अपने माता-पिता केा अपने ह्रदय से कभी अलग नही कियें। लेखन कार्य वे अपने पिता जी के समाधी के बगल में बैठ कर अनवरत घण्टों लिखा करते थें।उसे  लिखते समय किसी तरह की टोका-चाली पसन्द नही था। लेकिन वो काॅफी मज़ाकियाॅ इन्सान थें। मैला आँचल के प्रकाशन  होने के बाद उन्होंने सबसे पहले अपने पिता जी की समाधी पर उपन्यास रखकर 24 घंटे की कृ

Rahul Raj Renu | Facebook Sad Post | उदारता |गरीबी |लाचार

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