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Showing posts from March, 2012

Teen maut || rahul raj renu ||तीन मौत || राहुल राज रेणु || part-1

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                                                                 -ःतीन मौतः-                                                                                                        -राहुल राज रेणु    रात का खाना खाने के बाद थोड़ी बहुत खाना बच जाती थी। उस खाने को सुलोचना बाहर बरामदा पर रख जाती थी।    “सुलोचना कटिहार के सबसे धनी लाला का दुलारी बेटी थी। सुलोचना के पिता जी इज्जतदार व्यक्ति थें।उनके घर में तीन ही आदमी का बसेरा रहता.....माँ-पिता जी और सुलोचना।सुलोचना का एक बड़ा भाई बैंगलोर में ईंजीनियर  की पढ़ाई कर रहा है।सुलोचना बी0एस0सी की छात्रा हैं।”   सोमवार की रात को सुलोचना खाना खाने के बाद बाहर बरामदे पर खाना कुत्तों को खाने रख गईं।सोने के कुछ देर बाद अचानक  उनको याद आई कि अँगुठी भी वह बाहर ही छोड़ गई हैं।उलटे पाँव वह वापस बाहर आने लगी ,उसने देखा कि एक आदमी काॅफी बुरी तरह से फटी-चिटी गंदी कपड़ा पहना हुआ ।सर की बड़ी-बड़ी भद्दी बाल,दाड़ी भी बड़ी पुरा गंदा दिख रहा था।सुलोचना काॅफी डर गई...वह व्यक्ति भी ठंड से सिकुड़ रहा था। ठंड से उनके हाथों से वह जुठा खाना खाया नही जा रहा था।सुलोचना भिखारी स

अधूरा -2 || Adhura -2 || rahul raj renu || राहुल राज रेणु

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ज्योति के 12वीं पास होने के बाद से ही उनके लिए रिस्ता बडे़-बडे़ घरों से आने लगी। ज्योति  की शादी  बहुत बडे़ घर मे तय भी हो गईं।लेकिन इस बात को मनोहर नही अनजान   था।ज्योति ,मनोहर को हमेशा  गरीब  और नीच समझती थी।समझेगी क्यों नही क्योकि मनोहर ज्योति कों अपने जीवन की ऊँची डाली पर जो बैठा दिया है | ज्योति  की माँ...मनोहर को अब दूर-दूराने  लगी।लेकिन मनोहर के स्वभाव मे कोई बदलाव नही था,बेचारे को वो दोनों जो छोटी -बड़ी काम कहती ,वो कर कर देता ।आखिर मनोहर तीन साल पहले ज्योति का पड़ोसी भी रह चूका है |  भावना चाची सोचती ....मनोहर ज्योति की शादी  मे अर्चंन डाल सकता है। क्योकि उस पागल कों अपनी बैज्ज्ती का भी पता नही चलता था |इसलिए उनको हटाने की बहुत कोशिश  करने लगी,दोनो माँ-बेटी। लड़के वाले का भी दवाब है की शादी होटल या मंदिर से नही होगी |बात सही ...भावना चाची की इज्जत का सवाल भी है |  परीक्षा मे पास होने के कारण ज्योति आजकल बहुत खुश  रहती थी ।ज्योति आज हाथ मे कुछ   लेते हुए मनोहर के घर को निहारते हुए नजर आ रही थी ।तभी मनोहर की नजर ज्योति पर पड गईं।मनोहर अपने घर के छत  से बाॅस की सीडीयों के

अधूरा -1 || Adhura -1 || rahul raj renu || राहुल राज रेणु

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                                           ||  अधूरा  ||                                                                                                           - राहुल राज रेणु उनकी माँ बिलख- बिलख कर रो रही थी,पिता घर के एक कोने मे बैठे-बैठे आँसूओं  की धारा बहा रहे थे।बडी बहन मानो जैसे  की वह पागल हो गईं और छोटी ...माँ के आँचल मे आँसू पोछती हुईं पुछा करती...माँ....अ...!मनोहर भैईंया को क्या हुआ....,माँ...वो उठ क्यो न रहे......माँ.....तुम उठाती क्यों नही।माँ भैईंया बोले है...आज हमें बाजार लेकर जाऐगें और टाॅफी खरीदकर देगें।              उस वक्त...अमीत जी के यहाॅ का इस तरह का दृष्य किसी को देखा नही जा रहा था।क्योंकि उनका एक ही बेटा मनोहर  था, जिन पर उन सबों की सारी आशाऐँ टिकी हुईं थी। प्रेम 12वीं कक्षा का परीक्षा नही देने गया था।क्योंकि वह भावना चाची की बेटी ज्योति को परीक्षा दिलवाने चला गया,चूँकि प्रेम समझता था कि भावना चाची......ज्योति से मनोहर  की शादी  करवाऐंगी।             मनोहर  ज्योति को इतना चाहता था कि ज्योति की  चाय पिया हुआ कप संभाल कर रखता, उनकी  किताबों के रद्दी जि